1.
गैप अप (Gap Up) : जब कोई स्टॉक या सुरक्षा का विपणी मूल्य पिछले दिन के
बंद होने वाले मूल्य से ऊपर खुलता है, तो उसे "गैप
अप" कहा जाता है। इसका मतलब होता है कि सुरक्षा की मूल्य में एक बड़ा वृद्धि
हुई है और विपणी बिना किसी ट्रेड के ही उच्च मूल्य पर खुल गया है। गैप अप आमतौर पर
आगे की सत्र में ज्यादा खरीददारी की संकेत देता है।
2. गैप डाउन (Gap Down) : जब कोई स्टॉक या सुरक्षा का विपणी मूल्य पिछले दिन के बंद होने वाले मूल्य से नीचे खुलता है, तो उसे "गैप डाउन" कहा जाता है। इसका मतलब होता है कि सुरक्षा की मूल्य में एक बड़ी कमी हुई है और विपणी बिना किसी ट्रेड के ही नीचे मूल्य पर खुल गया है। गैप डाउन आमतौर पर आगे की सत्र में ज्यादा बेचदारी की संकेत देता है।
2. गैप डाउन (Gap Down) : जब कोई स्टॉक या सुरक्षा का विपणी मूल्य पिछले दिन के बंद होने वाले मूल्य से नीचे खुलता है, तो उसे "गैप डाउन" कहा जाता है। इसका मतलब होता है कि सुरक्षा की मूल्य में एक बड़ी कमी हुई है और विपणी बिना किसी ट्रेड के ही नीचे मूल्य पर खुल गया है। गैप डाउन आमतौर पर आगे की सत्र में ज्यादा बेचदारी की संकेत देता है।
शेयर
बाजार जिस मूल्य पर बंद होता है, उसी मूल्य पर न खुलकर गैप अप या गैप
डाउन ओपन होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं :
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बाजार में होने वाली महत्वपूर्ण घटनाएं : शेयर
बाजार में होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं, जैसे कि किसी कंपनी
के वित्तीय परिणामों की घोषणा, किसी नए उत्पाद या सेवा की
लॉन्चिंग, या किसी देश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण,
शेयर बाजार की कीमतों में अचानक उतार-चढ़ाव हो सकता है। इस प्रकार,
बाजार अगले दिन गैप अप या गैप डाउन खुल सकता है।
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विदेशी बाजारों की स्थिति : विदेशी
बाजारों की स्थिति भी भारतीय शेयर बाजार पर प्रभाव डाल सकती है। यदि विदेशी
बाजारों में तेजी है, तो भारतीय बाजार भी तेजी से खुल सकता
है। इसके विपरीत, यदि विदेशी बाजारों में गिरावट है, तो भारतीय बाजार भी गिरावट के साथ खुल सकता है।
· आर्थिक आंकड़ें : आर्थिक आंकड़ों में होने वाले बदलाव भी शेयर बाजार की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं। यदि आर्थिक आंकड़ें सकारात्मक हैं, तो शेयर बाजार की कीमतें बढ़ सकती हैं। इसके विपरीत, यदि आर्थिक आंकड़ें नकारात्मक हैं, तो शेयर बाजार की कीमतें गिर सकती हैं।
· आर्थिक आंकड़ें : आर्थिक आंकड़ों में होने वाले बदलाव भी शेयर बाजार की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं। यदि आर्थिक आंकड़ें सकारात्मक हैं, तो शेयर बाजार की कीमतें बढ़ सकती हैं। इसके विपरीत, यदि आर्थिक आंकड़ें नकारात्मक हैं, तो शेयर बाजार की कीमतें गिर सकती हैं।
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फंडामेंटल विश्लेषण : कुछ निवेशक
शेयरों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ावों को कम करने के लिए फंडामेंटल
विश्लेषण का उपयोग करते हैं। फंडामेंटल विश्लेषण के आधार पर, निवेशक किसी कंपनी की वित्तीय स्थिति, उद्योग की
स्थिति और भविष्य के संभावनाओं का आकलन करते हैं। यदि निवेशक किसी कंपनी के भविष्य
को लेकर आशावादी होते हैं, तो वे उस कंपनी के शेयरों को खरीद
सकते हैं। इस प्रकार, बाजार अगले दिन गैप अप खुल सकता है।
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तकनीकी विश्लेषण : कुछ निवेशक
शेयरों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ावों को समझने के लिए तकनीकी विश्लेषण का
उपयोग करते हैं। तकनीकी विश्लेषण के आधार पर, निवेशक शेयरों
के मूल्य चार्ट का अध्ययन करते हैं। यदि निवेशक किसी शेयर के मूल्य चार्ट में कोई सकारात्मक
संकेत देखते हैं, तो वे उस शेयर को खरीद सकते हैं। इस प्रकार,
बाजार अगले दिन गैप अप खुल सकता है।
गैप अप या गैप डाउन ओपनिंग को ट्रेडिंग के लिए एक अवसर
के रूप में देखा जा सकता है। यदि आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि स्टॉक की कीमत
खुलने पर बढ़ेगी या घटेगी, तो आप उस दिशा में
ट्रेड करके लाभ कमा सकते हैं। हालांकि, गैप अप या गैप डाउन
ओपनिंग अत्यधिक जोखिम भरे हो सकते हैं, इसलिए इनमें ट्रेड
करने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए।