मार्केट कैप
किसी भी कंपनी के कुल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहार उसके सभी शेयरहोल्डर्स
के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या
को स्टॉक की कीमत से गुणा करके किया जाता है। मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के
शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क
प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या x शेयरों की कीमत
Market Cap = Number of outstanding shares x Share price
मार्केट कैप कैसे काम आता है
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स से लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है। कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है
मार्केट कैप
के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से
गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी
बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।