1. इक्विटी शेयर क्या है?
इक्विटी शेयर को आम बोलचाल में शेयर या स्टॉक भी कहा जाता है। इससे किसी कंपनी में अमुक अंश की हिस्सेदारी व्यक्त होती है। इक्विटी शेयरधारक कंपनी के नफे-नुकसान में, अपने शेयरों की संख्या के अनुपात में व्यवसायिक हिस्सेदार होता है। इसके धारक को कंपनी के सदस्य का दर्जा प्राप्त होने के साथ कंपनी के प्रस्तावों पर अपना विचार व्यक्त करने और वोट देने का अधिकार प्राप्त है।
2. राइट्स इश्यू/राइट्स शेयर किसे कहते है?
जब कोई कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को उनकी अंशधरिता के अनुपात में नई शेयर देने की पेशकश करती है तो इसे राइट्स इश्यू या राइट्स शेयर कहा जाता है। शेयरधारकों को राइट शेयर खरीने का अधिकार मिलता है। लेकिन यह उसकी इच्छा पर निर्भर है कि वह इसका उपयोग करे या न करे। राइट्स इश्यू में कंपनी अन्य प्रतिभूतियां भी जारी कर सकती है।
3. इक्विटी शेयरधारकों के अधिकार क्या हैं?
इक्विटी शेयरधारक कंपनी के हिस्सेदार ही कहलाते हैं। इसलिए इन्हें कंपनी के वित्तीय परिणाम और आर्थिक स्थिति को जानने का अधिकार है। इसके लिए उसे प्रतिवर्ष सम्पूर्ण विवरण सहित बेलेंसशीट और वार्षिक रिपोर्ट प्राप्त करने का अधिकार है। कंपनी को अपने मुख्य कारोबार के दैनिक कामकाज के विवरण को छोडकर, किसी भी नीति को बदलने, नए शेयर जारी करने और अन्य महत्वपूर्ण कामों के लिए शेयरधारकों की अनुमति लेनी पडती है। इसके लिए साल में कम से कम एक बार वार्षिक सभा करनी आवश्यक है जिसमें निदेशक बोर्ड की बैठकों में पारित प्रस्ताव रखने पड़ते हैं। वार्षिक सभा की सूचना के साथ इन प्रस्तावों की प्रति भी शेयरधारकों को इस तरह भेजनी होती है ताकि वह उन्हें वार्षिक सभा से पहले मिल जाए। शेयरधारकों को इन प्रस्तावों के पक्ष या विपक्ष में अपने विचार रखने व वोट देने का अधिकार है। कंपनी की लेखा पुस्तकों या अन्य जरूरी दस्तावेजों को जांचने का अधिकार भी शेयरधारकों को है।
4. बोनस शेयर मतलब क्या?
कंपनी अपने वार्षिक लाभ को सम्पूर्ण रूप से लाभांश या डिविडेंड के रूप में वितरित नहीं करती है। इसका कुछ हिस्सा वह संचय खाते में जमा करती जाती है जो कुछ वर्षों में एक बड़ी राशि बन जाती है। कंपनी अपनी भावी विकास योजना या अन्य योजनाओं के लिए इस राशि को पूंजी खाते में हस्तांतरित करने के लिए इतनी ही राशि के शेयर बतौर बोनस अपने मौजूदा अंशधारकों को अनुपातिक आधार परे दे देती है। इन शेयरों के लिए शेयरधारकों से कोई मूल्य नहीं लिया जाता।
5. प्रेफरेंस शेयर किसे कहते हैं?
इस प्रकार के शेयर रखनेवाले शेयरधारकों को प्रतिवर्ष पूर्व निर्धारित दर से लाभांश दिया जाता है। यह लाभांश कंपनी के लाभ में से दिया जाता है। लेकिन इसका भुगतान इक्विटी शेयरधारकों को लाभांश देने से पहले किया जाता है। यदि कंपनी का दिवाला निकलता है तो प्रेफरेंस शेयरधारक को उसका हिस्सा इक्विटी शेयरधारकों से पहले, लेकिन बॉण्ड होल्डरों, डिबेंचरधारकों जैसे लेनदारों को चुकाने के बाद, मिलने का अधिकार है।
6. क्युम्युलेटिव प्रेफरेंस शेयर क्या है?
ऐसे शेयरधारकों को पूर्व निर्धारित दर पर प्रतिवर्ष लाभांश नहीं दिया जाता बल्कि यह कंपनी के पास जमा होता रहता है। जब कभी भी कंपनी अपने इक्विटी शेयरधारकों को लाभांश देती है तो उससे पहले क्युम्युलेटिव प्रेफरेंस शेयरधारकों को लाभांश दिया जाता है। ऐसी स्थिति में इनको उक्त अवधि तक का पूरा संचित लाभांश दिया जाता है।
7. क्युम्युलेटिव कन्वर्टिबल प्रेफरेंस शेयर किसे कहते हैं?
यह एक प्रकार का प्रेफरेंस शेयर ही है जिसमें निर्धारित दर पर लाभांश संचित होते हुए एक साथ ही चुकाया जाता है। लेकिन इसमें एक निर्धारित अवधि भी होती है जिसके पूरा होने पर उन्हें संचित लाभांश का भुगतान तो कर ही दिया जाता है, साथ ही ये शेयर स्वतः इक्विटी शेयर में रूपांतरित हो जाते है।
8. मैं इक्विटी शेयर कैसे प्राप्त कर सकता हूं?
आप प्राइमरी मार्केट से पब्लिक इश्यू (आईपीओ या एफपीओ) के दौरान आवेदन करके या फिर सीधे शेयर बाजार के मान्यताप्राप्त ब्रोकर के माध्यम से सेकेंडरी मार्केट में शेयर खरीद सकते हैं।
9. प्राइमरी मार्केट किसे कहते है?
कोई कंपनी जब अपनी परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए पब्लिक इश्यू जारी करती है तो इस ऑफर के माध्यम से आवेदन करके शेयर पाने और कंपनी द्वारा शेयर आवंटित करके उनको सूचीबद्ध कराने तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया/व्यवहार प्राइमरी मार्केट के कार्यक्षेत्र में आता है।
10. सेकेंडरी मार्केट किसे कहते हैं?
कंपनी पब्लिक इश्यू द्वारा आवेदकों को शेयर आवंटित करने के बाद उन्हें पंजीकत स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध करवाती है। सूचीबद्धता के बाद पब्लिक इश्यू यानी शुरुआती पब्लिक (आईपीओ) या फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) के जरिए प्राइमरी मार्केट में आवंटित किए गए शेयरों की खरीद-बिक्री की जा सकती है और इसी व्यवहार/कारोबार को सेकेंडरी मार्केट में सम्मलित किया गया है। साधारण भाषा में जब कोई व्यक्ति आवेदन करके कंपनी से सीधे शेयर लेता है तो यह प्राइमरी मार्केट का व्यवहार कहलाता है। पर जब यही शेयर वह अन्य किसी शेयरधारक से खरीता है या अन्य को बेचता है तो यह व्यवहार सेकेंडरी मार्केट कहलाता है। शेयर बाजार को ही तकनीकी रूप से सेकेंडरी मार्केट कहते हैं। प्राइमरी व सेंकेंडरी मार्केट को मिलाकर बनता है देश का पूंजी बाजार।